सरस्वती पूजा क्यूँ की जाती है?

नई दिल्ली 7 जनवरी 2018- बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा जाती है. कहा जाता है कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था। मां सरस्वती को विद्या और संगीत देवी भी कहा जाता है. कहा जाता है की इस दिन माँ सरस्वती की पूजा करने से वो प्रसन्न होती हैं और विद्या का वरदान देती हैं. बसंत पंचमी का त्योहार देश में अलग अलग परंपरानुसार के अनुसार मनाया जाता है. बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का पूजन किया जाता है। मां सरस्वती प्रसन्न होकर अपने भक्तों को बुद्धि, यश और ज्ञान का वरदान देती हैं. क्यूंकी मां सरस्वती वीणा धारण करती हैं इसलिए इनको वीणावादिनी भी कहा जाता है. बसंत पंचमी को सभी नये कार्यों के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है. इस दिन माँ सरस्वती की पूजा और वंदना करने से स्मरण शक्ति तीव्र होती है, विद्या में कुशलता आती है, वाणी मधुर होती है और स्वस्थ शरीर के साथ साथ स्वस्थ दिमाग़ विकसित होता है.
बसंत पंचमी किन राज्यों में मनाया जाता है
Basant panchami kahan manaya jata hai
भारत के विभिन्न राज्यों में बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. इन राज्यों में बिहार, बंगाल, उड़ीसा, असम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़.
क्यों मानते हैं वसंत पंचमी? Vasant Panchami kyun manate hain
कहा जाता है की मां सरस्वती का जन्म बसंत पंचमी के दिन हुआ था. इस दिन घरों और स्कूल में संगीत कार्यक्रम और तर्क शक्ति के कार्यक्रम आयोजित किए जा जाते हैं. बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र धारण किए जाते हैं और पीले चावल, पीले लड्डू व केसर युक्त खीर का उपयोग किया जाता. इस दिन छोटे बच्चों को पढ़ना लिखना सिखाया जाता है. इस दिन देवी सरस्वती जिनको वीना दायनि भी कहा जाता है की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. इस दिन देवी सरस्वती को अर्पित संगीत, गायन-वादन सहित अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम किए जाते हैं.
वसंत पंचमी का दिन और शुभ मुहर्त
Saraswati puja kab hai
इस साल 22 जनवरी 2018, सोमवार को वसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाएगा. साल 2018 में सरस्वती पूजा का शुभ मुहूरत शुबह 8 बजे से दौपहर 3 बजे तक है.
सरस्वती पूजन का तरीका- Saraswati puja ki vidhi
सबसे जहाँ माँ सरस्वती की मूती स्थापित करनी है वहाँ सॉफ सफाई कर लें. गंगा जल से उस जगह को स्वच्छ कर लें. माता के लिए चौकी बनाए जहाँ उनकी मूर्ति स्थापित करनी है. भगवान गणेश की भी मूर्ति साथ में रखें क्यूंकी शुभ काम की शुरुवत गणेश आरती से ही होती है. अब भगवान गणेश की मूर्ति को गंगा जल से स्नान करें. बाद में माता सरस्वती की मूर्ति का भी स्नान करायें. गंगा जल से स्नान करने के बाद बागवान गणेश और माँ सरस्वती की मूर्ति को फूलों की माला पहनायें. फिर उनपर पुष्प अर्पित करे और उनकी वंदना करें.
सरस्वती पूजन शामग्री- Saraswati puja samagri list in hindi
माँ सरस्वती पूजन के लिए इन चीज़ों की ज़रूरत पड़ती है. जो इस प्रकार हैं-
- लाल वस्त्र और लकड़ी की चौकी
- माँ सरस्वती और भगवान गणेश की मूर्ति
- शूध देशी घी और दिया जलाने के दीपक
- रोली
- श्वेत पुष्प
- भोग के लिए पीले चावल, पीले लड्डू व केसर युक्त खीर
- नयी पुस्तक और कलम
सरस्वती पूजा मंत्र- Saraswati pujan mantra
स्वस्थ दिमाग़, मीठी वाणी और लंबी आयु का वरदान प्राप्त करने के लिए माँ सरस्वती का व्रत और पूजन करने से मिलता है. मां सरस्वती से विद्या का वरदान पाने के लिए इन मंत्रों का जाप करें-
ॐ मां प्रणवनाद विकासिनी नम:
ॐ मां हंससुवाहिनी नम
ॐ शारदै दैव्यै चंद्रकांति नम:
ॐ जगती वीणावादिनी नम:
ॐ बुद्धिदात्री सुधामूर्ति नम:
ॐ वाग्देवी वागीश्वरी नम
ॐ कौमुदी ज्ञानदायनी नम:
ॐ मां भुवनेश्वरी सरस्वत्यै नम:
ॐ मां चन्द्रिका दैव्यै नम:
ॐ मां कमलहास विकासिनी नम:
ॐ ज्ञानप्रकाशिनि ब्रह्मचारिणी नम:
ॐ वरदायिनी मां भारती नम:
सरस्वती विसर्जन क्यूँ करते हैं
Saraswati Visarjan Kyun Karte hain
माँ सरस्वती की मूर्ति स्थापित पूजा के लिए की जाती है. बसंत पंचमी के अवसर पर जब माँ सरस्वती की पूजा संपन्न हो जाती है उनका आशीर्वाद लेने के बाद अगले सार फिर से माँ अपने दर्शन दे इसलिए माँ की मूर्ति को गंगा नदी या दूसरी नदियों मेी विसरजित कर दी जाती है. और माँ से प्रार्थना की जाती है की अपने शिष्यों को आशीर्वाद देती रहे.