दही हांडी उत्सव क्या है और क्यूँ मानते हैं?

दही हांडी उत्सव क्या है और क्यूँ मानते हैं?
Dahi Handi in Mumbai Maharashtra
दही हांडी उत्सव क्या है? Dahi Handi Festival in Hindi- श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवर पर मनाया जाने वाला दही हांडी उत्सव गुजरात और महाराष्ट्र में बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है. दही हांडी उत्सव भगवान श्री कृष्ण के बचपन की लीलाओं का वर्णन करता है. पूरे गुजरात और महाराष्ट्र में मनाया जाने वाला दही हांडी उत्सव अपने अनेकों रूपों के लिए विख्यात है.
दही-हांडी उत्सव में मटकी तोड़ने प्रतियोगिता होती है. इसमें ऊंचाई पर हांडी को लटकाया जाता है जिसमे दही, बादाम, और सूखे मेवे भरे होते हैं. अलग-अलग इलाक़े से आए युवा गोविंदाओं की टोली हांडी को फोड़ने का प्रयास करती हैं जिसे देखने के लिए हज़ारों के संख्या में लोग आते हैं. हर तरफ गोविंदा आला रे आला के गीत गाए जाते हैं. और पंडाल में तेज आवाज में गाने बजाकर गोविंदाओं की टोली का उत्साह बढ़ाया जाता है. जो टीम हांडी को फोड़ने में सफल होती है उनको इनाम दिया जाता है.
दही हांडी उत्सव क्यूँ मानते हैं? Janmashtami Dahi Handi Festival
दही हांडी का त्योहार मनाने की कहानी काफी पौराणिक है. अपने बचपन में श्रीकृष्ण बेहद ही नटखट थे. श्री कृष्ण की बचपन में माखन चुराने की आदत थी और उनके माखन चुराने की आदत से सभी गाँव वाले परेशान थे. श्रीकृष्ण को माखन, दही और दूध काफी पंसद था. उन्हें माखन इतना पंसद था जिसकी वजह से पूरे गांव का माखन चोरी करके खा जाते थे. उनकी माखन चुराने की आदत से मां यशोदा बहुत परेशन रहती थी क्यूंकी हर दिन कोई ना कोई कान्हा की शिकायत करने माता यशोदा के पास ज़रूर आ जाता था. रोज रोज के शिकायत से परेशान होकर एक दिन माता यशोदा ने उन्हें एक खंभे से बाँध दिया. लेकिन नन्हे कान्हा ने फिर भी माखन चुराना नही छोड़ा. इसी वजह से भगवान श्रीकृष्ण का नाम ‘माखन चोर’ पड़ा.
श्री कृष्ण के माखन चुराने से परेशन होकर वृन्दावन में महिलाओं ने माखन की मटकी को ऊंचाई पर लटकाना शुरू कर दिया ताकि श्रीकृष्ण का हाथ वहां तक न पहुंच सके. लेकिन कृष्ण तो थे ही नटखट उनकी समझदारी के आगे वृन्दावन की महिलाओं यह योजना भी व्यर्थ साबित हुई. श्रीकृष्ण अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक पिरामिड बनाते और ऊंचाई पर लटकाई मटकी से दही और माखन को चुरा लेते थे. वहीं से प्रेरित होकर दही हांडी का चलन शुरू हुआ.
गोविंदा आला रे आला- Govinda Aala Re Aala
दही हांडी उत्सव हर साल कृष्ण जन्माष्टमी के दिन मनाया जाता है. जिसमे युवा भाग लेते है और इन युवाओं की टीम में जो लड़का सबसे ऊपर खड़ा होता है और जो मटकी फोड़ता है उसे गोविंदा कहा जाता है और ग्रुप के अन्य लड़कों को हांडी या मंडल कहकर पुकारा जाता है. दही हांडी उत्सव में अलग-अलग इलाक़े की गोविंदाओं की टीम भाग लेती हैं. जो टीम मटकी फोड़ने में सफल होती है उसे इनाम दिया जाता है.
दही हांडी उत्सव 2018 में कब है? Dahi Handi Date in 2018
इस साल जन्माष्टमी का पर्व 2 और 3 सितंबर को मनाया जाएगा. क्यूंकी दही हांडी उत्सव जन्माष्टमी के अगले दिन मनाया जाता है इसलिए इस साल दही हांडी 3 सितंबर को मनाया जाएगा.
दही हांडी उत्सव कहाँ मनाया जाता है?
दही हांडी विशेष रूप से गुजरात और महाराष्ट्र में जन्माष्टमी के मौके पर मनाया जाता है. अगर आप महाराष्ट्र या गुजरात जाने का प्लान कर रहे हैं तो इस जन्माष्टमी को जायें और इस बड़े उत्सव की झलक जरूर देखें. तमिलनाडु में दही हांडी को ‘उरीदी’ के नाम से जाना जाता है. दही हांडी उत्सव पूरे भारत में मनाया जाता है लेकिन अलग-अलग नामों से.